प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी शहरी गैस वितरण (सीजीडी) से जुड़ी बोलियों के नौंवें दौर के तहत 129 जिलों के 65 भौगोलिक क्षेत्रों में सीजीडी परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे - Rashtra Samarpan News and Views Portal

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Wednesday, November 21, 2018

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी शहरी गैस वितरण (सीजीडी) से जुड़ी बोलियों के नौंवें दौर के तहत 129 जिलों के 65 भौगोलिक क्षेत्रों में सीजीडी परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी नई दिल्‍ली स्थित विज्ञान भवन से शहरी गैस वितरण (सीजीडी) से जुड़ी बोलियों के नौंवें दौर के तहत 129 जिलों के 65 भौगोलिक क्षेत्रों (जीए) में सीजीडी परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। इनके ठेके हाल ही में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) द्वारा दिए गए हैं। इसके परिणामस्‍वरूप नौंवें दौर तक 26 राज्‍यों एवं केन्‍द्र शासित प्रदेशों में रहने वाली देश की लगभग आधी आबादी को सहज ढंग से पर्यावरण अनुकूल एवं सस्‍ती प्राकृतिक गैस उपलब्‍ध होने लगेगी।

इसके तहत मुख्‍य कार्यक्रम नई दिल्‍ली स्थित विज्ञान भवन में 22 नवंबर, 2018 को शाम 4 बजे आयोजित किया जाएगा। भारत के 19 राज्‍यों में फैले भौगोलिक क्षेत्रों में से प्रत्‍येक क्षेत्र में अधिकृत निकाय भी स्‍थानीय तौर पर अपने-अपने कार्यक्रम आयोजित करेंगे। इस तरह पूरे देश के 65 विभिन्‍न स्‍थानों पर रहने वाले लोगों को एक साथ ही अपने-अपने अधिकृत क्षेत्रों में सीजीडी परियोजनाओं के क्रियान्‍वयन से जुड़ी योजना के बारे में विस्‍तृत जानकारी मिल जाएगी। अधिकृत निकायों ने स्‍थानीय कार्यक्रमों में विभिन्न गणमान्‍य व्‍यक्तियों जैसे कि मुख्‍यमंत्रियों, केन्‍द्रीय मंत्रियों, संबंधित राज्‍य सरकारों के मंत्रियों, स्‍थानीय सांसदों और विधायकों के अलावा वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारियों, अन्‍य जाने-माने लोगों और आम जनता को भी आमंत्रित करने की योजना बनाई है।

इस कार्यक्रम के दौरान नरेन्‍द्र मोदी 14 राज्‍यों के 124 जिलों में फैले 50 भौगोलिक क्षेत्रों में शहरी गैस वितरण (सीजीडी) से जुड़ी बोलियों के 10वें दौर का भी शुभारंभ करेंगे।

शहरी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क

भारत सरकार गैस आधारित अर्थव्‍यवस्‍था की दिशा में अग्रसर होने के लिए देश भर में ईंधन/कच्‍चे माल के रूप में पर्यावरण अनुकूल स्‍वच्‍छ ईंधन अर्थात प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है। इसके तहत सीजीडी नेटवर्क के विकास पर फोकस किया गया है, ताकि देश के नागरिकों के लिए स्‍वच्‍छ रसोई ईंधन (अर्थात पीएनजी) और स्‍वच्‍छ परिवहन ईंधन (अर्थात सीएनजी) की उपलब्‍धता बढ़ाई जा सके। सीजीडी नेटवर्क के विस्‍तार से औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयां (यूनिट) भी लाभान्वित होंगी क्‍योंकि इसके तहत प्राकृतिक गैस की अबाधित आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

सितंबर, 2018 तक सीजीडी नेटवर्कों के विकास के लिए देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में 96 शहरों/जिलों को कवर किया गया। मौजूदा सीजीडी नेटवर्कों के जरिए लगभग 46.5 लाख परिवार और 32 लाख सीएनजी वाहन स्‍वच्‍छ ईंधन से लाभ उठा रहे हैं। पीएनजी/सीएनजी नेटवर्क के विस्‍तारीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से पीएनजीआरबी ने 22 राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के 174 जिलों को कवर करने वाले 86 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए अप्रैल, 2018 में सीजीडी से जुड़ी बोलियों के नौंवें दौर का शुभारंभ किया। प्राप्‍त बोलियों की प्रोसेसिंग के बाद सफल बोलीदाताओं को संबंधित अधिकार पत्र जारी किए गए हैं, ताकि वे मौजूदा 84 भौगोलिक क्षेत्रों के लिए सीजीडी नेटवर्क का विकास कर सकें। बोली के इस दौर में विभिन्‍न निकायों द्वारा व्‍यक्त की गई प्रतिबद्धताओं के अनुसार देश भर में अगले आठ वर्षों में लगभग 2 करोड़ पीएनजी (घरेलू) कनेक्‍शन और 4600 सीएनजी केन्‍द्र (स्‍टेशन) स्‍थापित किए जाने की आशा है। इससे सीजीडी नेटवर्क का विस्‍तार भारत के 35 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाली लगभग 50 प्रतिशत आबादी तक हो गया है। इसके अलावा, पीएनजीआरबी ने 14 राज्‍यों के 124 जिलों को कवर करने वाले लगभग 50 और नए भौगोलिक क्षेत्रों के लिए सीजीडी से जुड़ी बोलियों के 10वें दौर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, ताकि इसके नेटवर्क का विस्‍तार भारत की 70 प्रतिशत आबादी को कवर करने वाले देश के लगभग 53 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र तक हो सके। ई-बोली प्रक्रिया 8 नवंबर, 2018 को शुरू हो चुकी है। बोली पूर्व सम्‍मेलन 6 दिसंबर, 2018 को आयोजित किया जाएगा। इसके तहत बोलियां 5 फरवरी, 2019 तक प्रस्‍तुत की जा सकती हैं। तकनीकी बोलियां 7-9 फरवरी, 2019 के दौरान खोली जाएंगी। आशय पत्रों (एलओआई) को फरवरी, 2019 के आखिर तक जारी करने की योजना है।

प्राकृतिक गैस ही क्‍यों

कोयला एवं अन्‍य द्रव ईंधनों की तुलना में प्राकृतिक गैस एक बेहतर ईंधन है क्‍योंकि यह पर्यावरण अनुकूल, सुरक्षित और सस्‍ता ईंधन है। प्राकृतिक गैस की आपूर्ति ठीक उसी तरह से पाइपलाइनों के जरिए की जाती है, जैसे कि किसी व्‍यक्ति को नल के जरिए पानी प्राप्‍त होता है। इसके लिए किचन में सिलेंडरों को किसी स्‍थान पर रखने की आवश्‍यकता नहीं पड़ती है, अत: इस बचे स्‍थान का उपयोग किसी और कार्य के लिए किया जा सकता है।

साभार: पीआईबी

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