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Friday, June 14, 2019

रामगढ़ के बालगृह से 2 बच्चे लापता, विभाग रही बेखबर



रिपोर्ट : सतीश सिंह / रितेश कश्यप

रामगढ़। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा महिलाओं और बाल कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाएं विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चल रहे हैं। विडंबना यह है की राज्य के अधिकारी पूरे देश में चर्चित बिहार के मुजफ्फरपुर में महिला कल्याण क्षेत्र में कार्य कर रही एनजीओ के द्वारा महिला उत्पीड़न जैसे कांडों से भी कोई सबक नहीं ले रहे हैं।

 जिस बाल गृह से है 2 बच्चे है लापता, उन्हें ही बच्चों की सुरक्षा के लिए दी जाती है मोटी रकम।

ताजा मामला रामगढ़ जिले के बाल संरक्षण विभाग से जुड़ा हुआ है। जहां विभाग के अंतर्गत चल रहे वात्सल्यधाम बाल गृह से 5 जून को 2 बच्चे लापता हो गए और बाल संरक्षण विभाग को इसकी कोई जानकारी नहीं है। लापता बच्चे का नाम चंदन कुमार(13 वर्ष) पिता सुकुमार मल्हार ग्राम चरणवा पोस्ट गोजू डीह, थाना चैनपुर, जिला पलामू और सुनील विश्वकर्मा (12 वर्ष) पिता अरुण कुमार विश्वकर्मा  जो कि बलरामपुर छत्तीसगढ़ का रहने वाला है।

बाल संरक्षण विभाग के द्वारा बच्चों का रेस्क्यू कर वात्सल्यधाम बाल गृह को सौंपा जाता है।

 राज्य सरकार के द्वारा वात्सल्यधाम को बच्चों के रखरखाव और पढ़ाई-लिखाई के एवज में मोटी रकम अदा की जाती है। हालांकि यह रकम कितनी है इसकी भी जानकारी जिले के बाल संरक्षण विभाग को नहीं है।

 हम थे जिनके सहारे वो हुए ना हमारे...

बच्चों के बाल गृह से भाग जाने के संबंध में पूछे जाने पर बाल संरक्षण समिति के सदस्य आकाश शर्मा ने बताया बच्चे तो अक्सर भाग जाया करते हैं। उन्होंने कहा वात्सल्यधाम बालगृह जिस भवन में चल रहा है उसकी चारदीवारी काफी नीचे है जिससे बच्चे आसानी से दीवार फांद कर भाग गए।

बाल गृह के संचालक के द्वारा स्थानीय थाने को बच्चों के भागने की सूचना देकर खानापूर्ति कर दी गई पर विभाग को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। जो संचालक की मंशा पर सवाल खड़े करती है।

बाल कल्याण समिति का अध्यक्ष मुन्ना कुमार पांडे ने इस मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।

 पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना

जिला बाल संरक्षण अधिकारी शांति बागे ने कहा लगभग 6 महीने पहले एक 13 वर्षीय बच्चा वात्सल्यधाम बाल गृह से भागा था। 5 जून के बच्चों की भागने की सूचना से उन्होंने भी इंकार किया। उन्होंने कहा बाल गृह भवन की चारदीवारी काफी नीचे होने के कारण इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।

 भवन जेएसए एक्ट के तहत अनुकूल नहीं, फिर भी दी गई अनुमति

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने इससे पहले बाल गृह का निरीक्षण नहीं किया था और अगर निरीक्षण किया गया था तो फिर उस भवन में बालगृह चलाने की अनुमति क्यों दी गई। तो उन्होंने कहा भवन जेएसए एक्ट के तहत अनुकूल नहीं है और यदि इस भवन में बाल गृह लाने की अनुमति नहीं दी जाती तो जिले में बाल गृह नहीं खुल पाता।

बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों?

अब सवाल यह उठता है की क्या बाल गृह संचालक को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बच्चों के भविष्य के साथ क्यों खिलवाड़ किया जा रहा है?
सभी अधिकारियों को यह पता होने के बावजूद की बाल गृह की दीवार छोटी है और इस तरह की घटना पहले भी घट चुकी है उसके बावजूद संज्ञान क्यों नहीं लिया गया?
प्राप्त जानकारी के अनुसार बाल संरक्षण समिति के सदस्यों के द्वारा मामले को रफा-दफा करने के लिए भी प्रयास किया गया। साथ ही  बाल संरक्षण समिति के सदस्यों को इस पद पर बिना जरूरी अहर्ता पूरी किए बाल गृह के संचालक के द्वारा अपनी पहुंच, पैरवी और पैसे के बल पर पदस्थापित स्थापित कराया गया है।

 मामला संज्ञान में आते ही कार्रवाई की जाएगी:  अमिताभ कौशल

इस संबंध में राज्य बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमिताभ कौशल ने कहा मामला संज्ञान में आने के बाद जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

 समाज कल्याण पदाधिकारी ने लगाई फटकार

मामले की जानकारी मिलने के बाद जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कनक तिर्की ने बाल संरक्षण पदाधिकारी से इतने गंभीर मामले की जानकारी उपायुक्त और विभाग को नहीं दिए जाने के लिए कड़ी फटकार लगाते हुए जवाब तलब किया है। साथ ही वात्सल्यधाम बालगृह के संचालक की अक्षमता से संबंधित प्रतिवेदन की भी मांग की है।

 शुक्रवार को शुरू की गई चाइल्ड लाइन की हेल्पलाइन सेवा

शुक्रवार को अपर समाहर्ता जुगनू मिंज की अध्यक्षता में एक बैठक समाहरणालय में की गई जिसके तहत चाइल्डलाइन की हेल्पलाइन सेवा शुरू कर बच्चों को उनके बचपन का अधिकार दिलाने की बात कही गई। इस बैठक में यह भी कहा गया की बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए गैर सरकारी संस्थाओं एवं सरकार के साथ मिलकर काम किया जाएगा।

दूसरी तरफ वात्सल्यधाम जैसी घटनाओं पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो एक ओर तो हम बच्चों के अधिकार दिलाने की बात कर रहे हैं दूसरी ओर जिन बच्चों को रेस्क्यू कर बालगृह में लाया गया उनकी सुरक्षा  पर विभाग का ध्यान ही नहीं जा रहा।

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