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Tuesday, October 22, 2019

अंग्रेजों की नाक के नीचे से खजाना लूटने का काम अशफाकउल्ला खां ने किया था


महान क्रांतिकारी अशफाकउल्ला खां कविताएं भी लिखते थे, उन्हें घुड़सवारी, निशानेबाजी और तैराकी का भी शौक था. वे अपनी कविता में अपना उपनाम ‘हसरत’ लिखा करते थे. उनका जन्म 22 अक्तूबर 1900 को उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर जिले के 'शहीदगढ़' में हुआ था.

क्रांतिकारियों ने 09 अगस्त, 1925 को सहारनपुर लखनुऊ पैसेंजर ट्रेन को काकोरी स्टेशन पर लूटने की योजना बनाई, ट्रेन में सरकारी खजाना था जो ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय का शोषण कर ही एकत्रित किया था. खजाने को लूटने का उद्देश्य सशस्त्र क्रांति गतिविधियों को बढ़ाने के लिए धन जुटाना था.

अशफाकउल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद, व अन्य साथियों ने योजना बनाकर लखनऊ ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को काकोरी में लूट लिया, इसके पश्चात से ही घटना को काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है. योजना पर अमल के दौरान सभी क्रांतिकारियों ने छद्म नाम रखा था, अशफाकउल्ला खां ने अपना नाम कुमार जी रखा था.

घटना में शामिल अन्य क्रांतिकारियों को ब्रिटिश सरकार ने पकड़ लिया था, लेकिन चंद्रशेखर आजाद व अशफाकउल्ला खां को नहीं पकड़ पाई थी. पर, 26 सितंबर 1925 के दिन हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें अशफाकउल्ला खां भी शामिल थे. काकोरी कांड में राजद्रोह का केस उन पर चलाया गया, अंग्रेज सरकार की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. 19 दिसंबर 1927 को 25 वर्ष की युवा आयु में अशफाकउल्ला खां को फैज़ाबाद जेल में फांसी दे दी गई.


काकोरी कांड में गिरफ्तार हुए शहीद अशफाक उल्ला खान के जन्मदिवस पर आयोजन रखा गया, जिसमें कांग्रेस नेता शांतनु मिश्रा ने दिया जोरदार भाषण, बताया शहीद अशफाक उल्ला खान के उन बातों को जो अब तक कई लोग नहीं जानते होंगे।।।

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