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Wednesday, February 12, 2020

कचरा यार्ड में आग लगाने से पूरे रामगढ़ में छाया जहरीले धुएं का अंबार


--रितेश कश्यप

रामगढ़। रामगढ़ के मूरामकला स्थित वार्ड नंबर 6 में छावनी परिषद का कचरा यार्ड बनाया हुआ है जहां पूरे रामगढ़ का प्लास्टिक कचड़ा डाला जाता है। इस कचरा यार्ड में मंगलवार की रात किसी ने आग लगा दी। आग लगने के बाद कचरा यार्ड के काफी बड़ा भाग धू-धू कर जलने लगा। आग लगने के बाद पूरे रामगढ़ में धुएं का अंबार दिखाई देने लगा। ऐसा नहीं है कि यह आग पहली बार लगाई गई हो बल्कि आसपास के लोगों के अनुसार अक्सर वहां पर आग लगा दी जाती है मगर वह व्यक्ति कभी पकड़ा नहीं गया। आग लगने के बाद आसपास के लोगों को सांस लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी सपन कुमार से मंगलवार की रात हमारे संवाददाता ने बातचीत की और उन्हें आग लगने की जानकारी दी। सपन कुमार ने कहा कि वह तुरंत इस बात का संज्ञान लेते हुए आग को बुझाने के लिए पानी का टैंकर भिजवाया। बुधवार की सुबह तक आज की वही स्थिति बनी हुई थी और चारों ओर धुआं पसरा हुआ था। वहां रहने वाले लोगों ने कहा कि इस धुए के वजह से सांस लेने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है घर के बड़े बुजुर्ग एवं छोटे बच्चों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। हमारे संवाददाता के वहां पहुंचने के बाद कुछ लोग आग बुझाते दिखाई दिए उनसे बात करने पर उन लोगों ने बताया कि उनकी सरकारी ड्यूटी सुबह 7:00 बजे से लेकर 3:00 के 1:00 बजे तक रहती है उसके बाद उनका काम यहां नहीं रहता। आग के संबंध में उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि यहां पर अक्सर शाम को आग लगा दी जाती है मगर छावनी परिषद के कोई भी लोग उस वक्त मौजूद नहीं रहते हैं।

डॉक्टरों की अगर मानें तो प्लास्टिक के कचड़े जलाने की वजह से कई प्रकार के जहरीले गैस फैलते हैं और यह धुआं शरीर के लिए काफी नुकसानदेह रहता है।
इससे टौक्सिक रसायन, पीएम 10 व 2.5 माइक्रोमीटर माप के छोटे कार्बन कण, बेंजीन, पारा, वैनेडियम व कैंसर फैलाने वाले डाईऔक्सिंस और फ्यूरियस हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है।

पॉलिथीन दान अभियान रामगढ़ के संयोजक उपेंद्र पांडे ने बताया कि किसी भी प्रकार के प्लास्टिक या कचरा में आग लगाने एवं नाले में सड़ रहे कचरे से हानीकारक गैस मिथेन, सल्फर, कार्बन डायआक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड निकलते हैं. जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और ओजोन परत को क्षति पहुंचाता है। ये गैस मानव शरीर के लिए खतरनाक व जानलेवा है। इससे कैंसर, जेनेटिक डिजीज, चर्म रोग, सांस की बीमारी, एनिमिया, दांत, दमा, टीबी जैसी बीमारी होती है।

अब सोचने वाली बात यह है कि कचरे में आग लगने के बाद इतनी गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। और तो और ऐसा नहीं है कि यह पहली बार आग लगाई गई हो पहले भी इस कचरा यार्ड में अनेकों बार आग लगाई जा चुकी है बावजूद इसके प्रशासन शांत क्यों है यह समझ में नहीं आ रहा।

सुलगते सवाल

15 घंटे बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है, कौन होगा इसका जिम्मेदार?

कई बार आग लगने के बावजूद प्रशासन चुप क्यों है?

पर्यावरण संरक्षण के सारे दावे फेल क्यों हो रहे हैं?

जब रात में आग लगाई जाती है तो कर्मचारियों की ड्यूटी दिन में क्यों रहती है?

कचरा यार्ड में आग लगे या ना लगे हानिकारक गैस का उत्सर्जन होता ही रहता है

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