नई शिक्षा नीति का लक्ष्य है छात्र केन्द्रित उच्च शिक्षा का विकास : प्रो.आशुतोष कुमार - Rashtra Samarpan News and Views Portal

Breaking News

Home Top Ad

 Advertise With Us

Post Top Ad


Subscribe Us

Saturday, January 22, 2022

नई शिक्षा नीति का लक्ष्य है छात्र केन्द्रित उच्च शिक्षा का विकास : प्रो.आशुतोष कुमार





रांची। उच्च शिक्षा को सर्व सुलभ अर्थात सभी तक उच्च शिक्षा की पहुंच हो इसके लिए छात्र केंद्रित उच्च शिक्षा को विकसित करने की आवश्यकता होगी। ऐसा देखा गया है कि विकसित देशों में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात 50 प्रतिशत से अधिक जबकि हमारे देश में यह लगभग 25 से 28 प्रतिशत के बीच है जिसे 2035 तक 50% करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों से ही संभव है। जिसके अंतर्गत विषय के चयन, नामांकन लेने, पढ़ाई छोड़ने और पुनः पढ़ाई से जुड़ने की व्यवस्था बनाई जाएगी अर्थात उच्च शिक्षा में लचीलापन लाया जाएगा। यह व्यवस्था नई शिक्षा नीति के लागू होने से संभव हो पाएगी और छात्र केंद्रित उच्च शिक्षा का विकास होगा। जिससे उच्च शिक्षा में विषयों के चयन की स्वतंत्रता होगी और छात्र अपने इच्छा के विषयों का चयन कर नामांकन लेकर अध्ययन कर सकेंगे।उक्त बातें पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य सह पटना विश्वविद्यालय के पूर्वसंकायाध्यक्ष प्रो. आशुतोष कुमार ने आज रांची विमेन्स कॉलेज के बीएड विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में कहीं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया की थॉट प्रोसेस और एटीट्यूड फॉरमेशन में नई शिक्षा नीति के लागू होने से बदलाव आएगा और भारतीय छात्रों में सर्वश्रेष्ठ की भावना विकसित होगी उन्होंने एग्जामिनेशन ऑन डिमांड, रोट लर्निंग मेथड से आगे चलते हुए अंडरस्टैंडिंग एंड एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग मेथड पर भी चर्चा की। साथ ही साथ उन्होंने उच्च शिक्षा के विभिन्न रेगुलरटी बॉडी के तालमेल में अभाव पर भी चर्चा करते हुए हायर एजुकेशन ऑफ इंडिया नामक केवल एक रेगुलरटी बॉडी होने से उच्च शिक्षा में होने वाले बदलाव पर भी चर्चा करते हुए कहा कि नॉलेज प्राप्त करना नॉलेज क्रिएशन के रुप में होना चाहिए।


सेमिनार के दूसरे वक्ता टीचर ट्रेनिग कालेज, दरभंगा के प्राचार्य डॉ. कुमार संजीव ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति और अध्यापक शिक्षा में बदलाव पर चर्चा करते हुए बताया कि अब अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम बहुविषयक शिक्षण संस्थानों में ही संचालित किए जायेंगे। वर्तमान में जो भी एकल विषयक संस्थान है या तो उन्हें बहु विषयक संस्थानों में अपने को उन्नयन करना होगा या नहीं तो फिर बंद कर दिए जायेंगे।  उन्होंने नई शिक्षा नीति में प्रिस्कूल को औपचारिक शिक्षण संस्थानों के रूप में विकसित किए जाने पर उसमे कार्यरत शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी चर्चा की और वर्तमान में चल रहे सेवाकालीन ऑनलाइन प्रशिक्षण में होने वाली समस्याओं जैसे इंटरनेट की कमी एंड्राइड मोबाइल को चलाने के कौशल का अभाव पर भी चिंता व्यक्त करते हुए अध्यापक शिक्षा के गुणवत्ता पर विस्तार से चर्चा की।


तीसरे सत्र में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया के शिक्षक शिक्षा विभाग के प्रो.डॉ. रवि कांत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा  करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में पारंपरिक मूल्यों एवं संवैधानिक मूल्यों के बीच में संशय है इन दोनों के बीच कहीं  आधुनिक मूल्यों का विकास रुक ना जाए इसलिए एनईपी में पारंपरिक मूल्यों का निर्धारण स्पष्ट होना चाहिए या अगर कंपोजित कल्चर बनाया जाता है तो उसका स्वरूप क्या होगा इसका भी निर्धारण स्पष्ट होना चाहिए क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहचान है भारत की अंतरराष्ट्रीय पटल पर।उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी बहुत अच्छी है इसकी सफलता इसके क्रियान्वयन पर निर्भर करेगा।


दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शमशून नेहार उपस्थित रही। सभी वक्तागण का परिचय बीएड विभाग की कोऑर्डिनेटर डॉ.सीमा प्रसाद ने कराया जबकि धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ.रंजना कंठ ने किया एवं मंच संचालन आयोजन सचिव डॉ.सचिन कुमार ने किया।इस अवसर पर विभाग के सभी शिक्षक सहित सैकड़ों प्रतिभागी उपस्थित रहे।

No comments:

Post a Comment

Like Us

Ads

Post Bottom Ad


 Advertise With Us