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Friday, April 19, 2019

हनुमान जयंती पर मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है रामगढ़ का संकट मोचन मंदिर



रिपोर्ट: रीतेश कश्यप

शुक्रवार को हनुमान जयंती के अवसर पर क्षेत्र के सभी मंदिरों में काफी भीड़ भाड़ देखी गई। इसी बीच आस्था का प्रतीक थाना चौक स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। वैसे तो हर मंगलवार को इस मंदिर में काफी भीड़ देखी जाती है मगर आज हनुमान जयंती के वजह से काफी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे साथ ही इस मौके पर भोग एवं अखंड हनुमान चालीसा का भी आयोजन किया गया था।

मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित धीरज परासर हैं। बरसों पूर्व से इनके पिता एवं क्षेत्र के जाने माने पुजारी एवं ब्यास कामदेव उपाध्याय जिनकी उम्र लगभग 72 वर्ष की है वो संकट मोचन मंदिर के संस्थापक हैं साथ ही मुख्य पुजारी के रूप में 47 वर्षों तक सेवा देते रहे हैं।

भीषण सड़क दुर्घटना के बाद कामदेव उपाध्याय पूजा कराने में सक्षम नही हो पा रहे थे उसके बाद उन्होंने अपना दायित्व अपने पुत्र एवं वर्तमान पुजारी पंडित धीरज पाराशर को सौंप दिया।

 शहर के बीचोबीच होने की वजह से यह मंदिर आस्था का केंद्र रहा है। पंडित धीरज पाराशर के पिताजी कामदेव उपाध्याय जी से हमारे संवाददाता से बात कर उन्होंने बताया कि सन 1974 में उस स्थान पर छोटा सा हनुमान मंदिर के साथ एक गौशाला हुआ करता था उसी वक्त उस रास्ते से आते जाते उनके मन में वहां पर एक मंदिर की कल्पना की और 1975 में सामाजिक सहयोग और अपनी जिम्मेदारी लेते हुए इस मंदिर का निर्माण किया। श्री उपाध्याय जी का दावा है कि ऐसा मूर्ति पूरे झारखंड में नहीं है साथ ही उन्होंने बताया कि इस मंदिर को शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने आगे बताया कि हर मंगलवार को पूरे रामगढ़ के लोग भारी संख्या में दर्शन हेतु इस मंदिर में आते हैं।

पंडित धीरज पाराशर से बात करने पर पता चला कि उन्होंने अपनी एमबीए की पढ़ाई की हुई है और यहां पुजारी बनने से पहले एचडीएफसी कोलकाता में कार्यरत थे। नौकरी छोड़ मंदिर में पूजा करने के विषय में उन्होंने बताया कि 2010 में मंदिर के मुख्य पुजारी एवं उनके पिता कामदेव उपाध्याय की भीषण सड़क दुर्घटना हो गई थी जिसमे उनका पैर उसके बाद उनका घर एवं मंदिर का देखभाल करने वाला कोई नहीं था और इस वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ दी। पुजारी धीरज पाराशर ने बताया कि उनका परिवार 100 साल से भी अधिक समय से रामगढ़ के गोलपार में निवास करते हैं।

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