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Saturday, January 18, 2020

मौत की चुटूपालू घाटी: अनियंत्रित ट्रक ने 2 गाड़ियों को लिया अपनी चपेट में, दो मासूम भी हुए दुर्घटना में घायल

रिपोर्ट : ऋतेश कश्यप
Twitter @meriteshkashyap  


रामगढ़। आए दिन रामगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके पीछे किसी ना किसी के लापरवाही के वजह से यह दुर्घटनाएं हो रही है। इससे ना तो सरकार न ही प्रशासन सचेत हो पा रही है । 

मौत की घाटी चुटूपालू घाटी में शनिवार दोपहर गंडके मोड़ के पास एक अनियंत्रित ट्रक ( सीजी 04 एचक्यू 7919) जो रांची से आ रही थी उसका ब्रेक फेल हो जाने के बाद सबसे पहले एक पिकअप वैन (जेएच12जी6549) को मारते एक मोटरसाइकिल (जेएच01बीवाई8373) को अपनी चपेट में ले लिया । मोटरसाइकिल संदीप करमाली चला रहे थे, उनके साथ उनकी पत्नी (शिला देवी) और दो बच्चे (लक्की और शिवा) भी साथ में थे। संदीप जसपुर गांव सिकिदिरी से रामगढ़ अपने 8 माह के बच्चे (शिवा) का  इलाज के लिए रामगढ़ आ रह थे। इसी बीच अनियंत्रित ट्रक ने इतनी जोर से मोटरसाइकिल को अपनी चपेट में लिया की मोटरसाइकिल सवार लगभग 20 मीटर की दूरी पर जा गिरा। इस घटना में  संदीप करमाली के साथ उनकी पत्नी शीला देवी एवं अपने दोनों बच्चों के साथ जिसकी एक 7 वर्ष का एवं 8 महीने का है, जमीन पर गिर गए। वहां मौजूद लोगों ने आनन-फानन में रिलायंस पेट्रोल पंप के समीप के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों से पूछताछ के क्रम में पता चला कि संदीप करमाली की पत्नी शीला देवी को गंभीर चोटें आई हैं, उन्हें बेहतर इलाज के लिए  रिम्स भेजा जा सकता है। उनके दोनों बच्चों में लकी जो 7 वर्ष का है उसे भी ज्यादा चोट लगी है। हालांकि संदीप करमाली और उनके छोटे बेटे ज्यादा चोट नहीं आई है।  संदीप करमाली के माता जी से बात करने पर पता चला कि संदीप  मजदूरी का काम  करता है वे लोग रामगढ़ अपने बेटे का इलाज कराने के लिए आ रहे थे। इसी क्रम में पीछे से आ रही ट्रक ने इनलोगों को धक्का दे मारा। इस दुर्घटना में संदीप को ज्यादा चोट नहीं आई और उसी ने अपने घरवालों को फ़ोन कर घटना की साडी जानकारी दी जिसके बाद उनके घरवाले उनतक पहुच पाए।

उक्त घटना के बाद वहां प्रशासन तो समय पर पहुंच गई मगर एनएचएआई के कोई भी लोग घटनास्थल पर दूर-दूर तक दिखाई नहीं दिए। सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार के बड़े-बड़े दावे इस तरह के दुर्घटना के बाद धराशाई नजर आने लगते हैं। एनएचएआई द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े वादे और दावे किए जाते रहे हैं मगर जब भी कोई दुर्घटना घट जाती है तो उनके सभी वादे और दावे धरे के धरे नजर आते हैं। घाटी में दुर्घटना के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग के द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिल पाई इस दौरान स्थानीय लोग एवं स्थानीय प्रशासन मदद ना करती तो शायद आज उस परिवार का माहौल कुछ और नजर आता।

एक कहावत बड़ी ही प्रचलित है  “ जाको राखे साइयां मार सके ना कोई ” इस लिहाज से अगर देखा जाए तो एनएचएआई के लोग इस कहावत को दिल से लगा बैठे हैं, तभी तो अपनी ओर से किसी भी दुर्घटना के बाद उनकी अपनी भूमिका नगण्य दिखाई दे रही है।

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