रामगढ़ : पुजारी के शव दफ़नाने का मामला बना प्रशासन के गले की हड्डी, शव की जगह पुतले का किया दाह संस्कार - Rashtra Samarpan News and Views Portal

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Friday, August 7, 2020

रामगढ़ : पुजारी के शव दफ़नाने का मामला बना प्रशासन के गले की हड्डी, शव की जगह पुतले का किया दाह संस्कार

क्या पुतले को हुआ था कोरोना ?  जलने से पहले पहनाया गया पीपीइ किट ..
-- रितेश कश्यप 

रामगढ़ में रांची रोड स्थित राधाकृष्ण मंदिर के 72 वर्ष के पुजारी की कथित कोरोना पॉजिटिव से मृत्यु के बाद एक जंगल में दफना दिया गया था । रामगढ के हिन्दू संगठनों और राजनैतिक दलों के विरोध के बाद प्रसाशन द्वारा पुजारी के शव की जगह पुतले को जलाकर मामले को दबाने की कोशिश की गयी । पुजारी के बेटे  अरविंद मिश्रा का कहना है कि उनके पिता समाज में काफी प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । उनकी मृत्यु डिसेंट्री की वजह से हुई थी जबकि  प्रशासन का कहना है कि पुजारी की मृत्यु कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से हुई है। हालांकि पुजारी के परिजनों के अनुसार प्रशासन की ओर से कोई कोरोना की लिखित रिपोर्ट नहीं दी गई है।
पुजारी की मौत के बाद प्रशासन को हिंदू रीति-रिवाज से दाह संस्कार किए जाने की जगह दफनाने पर रामगढ़ के कई हिंदू संगठनों का आक्रोश झेलना पड़ा। अंत में हिंदू संगठनों के द्वारा गुरुवार को आंदोलन किए जाने की धमकी देने के बाद प्रशासन ने अपना पिंड छुड़ाने के लिए पुजारी के शव की एक पुतले का दाह संस्कार कर खानापूर्ति कर दिया गया। आश्चर्य की बात ये थी की पुतले के दाह संस्कार के वक़्त भी लोगों को पीपीई किट पहनाया गया ।  

क्या कहा पुजारी के पुत्र अरविन्द और SDPO  अनुज उरांव ने ? 


परिजनों की क्या रही प्रति क्रिया ?

पुतले का दाह संस्कार किए जाने के बाद पुजारी के परिजन बिल्कुल संतुष्ट नहीं दिखे उनका कहना था कि प्रशासन ने सिर्फ धोखा देने का काम किया है। प्रशासन द्वारा परिजनों को आश्वस्त किया गया था कि जिस जगह पर शव को दफनाया गया है उसी जगह से शव को निकालकर हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उनका दाह संस्कार किया जाएगा । पुजारी के पुत्र ने कहा कि उनके पिता के शव के साथ जो दुर्व्यवहार किया गया है उसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती मगर कम से कम  हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उन्हें मुखाग्नि देने की अनुमति तो देनी चाहिए थी। अरविंद के अनुसार पिता की मौत एक मामूली सी डिसेंट्री की वजह से हो गई । डिसेंट्री की वजह से वह काफी कमजोर हो गए थे और निजी अस्पतालों ने उन्हें लेने से मना कर दिया था।  अस्पताल वालों का कहना था कि उनके पिता का जांच वह तभी करेंगे जब वह लोग  कोरोनावायरस की जांच  रिपोर्ट लेकर आएंगे। इसी चक्कर में उनके इलाज में देरी होती रही और उनके पिता कमजोर होते चले गए अंत में 29 जुलाई को वह अपने पिता की जांच के लिए रामगढ़ के थायरोकेयर सेंटर में पहुंचे जहां उन्हें 2 दिन बाद रिपोर्ट देने की बात कही गई। रिपोर्ट के इंतजार में परिजन बैठे थे मगर 30 तारीख के शाम को उनके पिता का निधन हो गया। उनके पिता के निधन के बाद 30 तारीख के ही रात को थायरोकेयर का कोरोनावायरस जांच का रिपोर्ट नेगेटिव आया। अगले दिन यानी 31 जुलाई को जब वह अपने पिता का दाह संस्कार करने के लिए श्मशान घाट जा रहे थे तब आसपास के ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया और यह बात प्रशासन को खबर दी कि उनके पिता की मृत्यु करोना के वजह से हुई है। इसके बाद प्रशासन की ओर से उनके मृतक पिता का सैंपल लिया गया और 31 तारीख की ही शाम में उनके पिता का रिपोर्ट पॉजिटिव बताया गया। मृतक के परिजनों की ओर से करो ना पॉजिटिव का रिपोर्ट का लिखित दस्तावेज मांगा गया मगर उन्हें नहीं दिया गया। उसी रात उनके बड़े भाई के घर वालों को प्रशासन कोरोना डेथ के लिए ले गई जहां उनके सभी लोगों का रिपोर्ट निगेटिव पाया गया। मृतक के पुत्र अरविंद कुमार मिश्रा का कहना है कि उनके पिता के मौत के बाद स्थानीय लोगों और नेताओं ने सियासत करना शुरू कर दिया और उनके पिता के शव को श्मशान घाट में जलाने से मना कर दिया। प्रशासन उन नेताओं और लोगों को समझाने के बजाय उनके पिता का शव किसी जंगल में जाकर 9 फिर गहरे गड्ढे में दफना दिया गया।

एक बेटे ने खड़े किये अहम् सवाल 

अरविंद मिश्रा ने प्रशाशन से सवाल भी किया की उनके पिता कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे तो उनके शव को प्रशासन ने अपने कब्जे में लेकर उसका दाह संस्कार क्यों नहीं किया साथ ही अगर उनके पिता कोरोना पॉजिटिव थे तो उनके परिजनों को उनके पिता का रिपोर्ट क्यों नहीं सौंपा गया।

सुलगते सवाल 

  • इस पूरे घटना में आश्चर्य की बात यह थी कि पुतले जलाने के पहले परिजनों को पीपीई किट पहनाया गया। रामगढ़ में यह चर्चा का विषय रहा कि आखिर एक पुतले से बचने के लिए लोगों को पीपीई किट क्यों पहनाया गया ?
  • क्या पुतले से भी कोरोनावायरस फैल सकता है?
  • जब पुरे विश्व में हर धर्म के व्यक्ति को उनके रीती रिवाजों के अनुसार क्रियाकर्म करने की अनुमति है रामगढ प्रशाशन ने हिन्दू पुजारी के शव को क्यों दफनाया ?
  • कोरोना से मरने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार प्रसाशन या सरकार की जिम्मेदारी होती हैं तो पुजारी के मामले में ये लापरवाही क्यों बरती गयी ?
  • जब प्रशासन को ये पता चला की पुजारी कोरोना पॉजिटिव है तो उनके परिजनों को वो शव क्यों सौंपा गया ? 
  • जब पुजारी कोरोना पॉजिटिव थे तो उनके परिवार में से किसी को कोरोना ने अपना शिकार क्यों नहीं बनाया  ?
  • अगर निजी जांच केन्द्रों के रिपोर्ट को प्रसाशन नहीं मानती तो कोरोना के लिए निजी अस्पताल क्यों बनवाए गए ?
  • कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के कई दिनों के बाद भी आखिर क्यों नहीं दिया गया रिपोर्ट की कॉपी ?

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