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Monday, June 28, 2021

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा बिहार #STET2019 , लाखों नौजवानों का भविष्य अधर में ..



-- रितेश कश्यप 
@meriteshkashyap 
 

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से सोमवार को एसटीईटी 2019 के पेपर 1 और पेपर 2 का फाइनल रिजल्ट देकर मेरिट लिस्ट जारीकर दिया गया। मेरिट लिस्ट जारी किये जाने के बाद पता चला की हजारों अभ्यर्थी जिन्होंने एसटीईटी 2019 में पास किया वो  मेरिट लिस्ट से बाहर हो गए हैं। इसके बाद सोशल मिडिया से सड़क तक हजारों की संख्या में अभ्यर्थियों का विरोध शुरू हो गया। अभ्यर्थियों का कहना था की 12 मार्च 2021 को परीक्षा परिणाम घोषित किये जाने के बाद शिक्षा मंत्री विजय चौधरी और विभागीय अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा था की एसटीईटी परीक्षा में सीट के विरुद्ध उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नौकरी पक्की है। मगर अब परिणाम आने के बाद प्रुरा का पूरा मामला ही बदल गया। हालाँकि मामला बढ़ता देख बिहार शिक्षा विभाग ने यू टर्न लेते हुए सभी अभ्यर्थियों को मौका देने की बात कही जा रही है। 

टीईटी एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ का आरोप है कि एसटीईटी 2019 के मेरिट लिस्ट में धांधली की गई है। इसमें पारदर्शिता नहीं बरती गई है।  

टीईटी एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने कहा कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने बिना विषयवार, कोटिवार बगैर रिक्ति और उतीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या बताये हुए मेरिट लिस्ट कैसी जारी कर दी है।

संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी राहुल विकास ने कहा कि सरकार शुरुआत से ही इस बहाली के मुद्दे पर गम्भीर नही रही है। पहले भी दो  बार परीक्षा हुआ कुछ विषय के अभ्यर्थी हाई कोर्ट गए उसके बाद रिजल्ट जारी हुआ। अब ये नया विवाद हुआ है, जिसके कारण से क्षुब्ध अभ्यर्थी फिर से कोर्ट जाएंगे। जिस कारण बहाली प्रकिया पर असर पड़ेगी और सरकार भी यही चाहती है।

क्यों है विवाद ?

रिपोर्ट के अनुसार, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक यानी नौवीं से 12वीं तक के 15 विषयों की 37 हजार 440 सीटों के लिए एसटीईटी 2019 आयोजित हुई थी। इसमें नौवीं और 10वीं के लिए कुल 25 हजार 270 और 11वीं-12वीं के लिए 12170 सीटें थी। जबकि कुल 30 हजार 676 अभ्यर्थी पास हुए हैं।  मतलब साफ है कि 6794 सीटें खाली रह जाएंगी।

12 मार्च 2021 को 15 में से 12 विषयों के परीक्षा परिणाम धोषित किये गए। इसमें 12 विषयों में कुल 30337 रिक्तियां थी। इनके एवज में मात्र 24599 अभ्यर्थी ही सफल हो पाये। परिणाम घोषित किये जाने के बाद शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा था की रिक्तियों के मुकाबले काफी कम अभ्यर्थी सफल हो पाये हैं इसीलिए सभी लोगों की न्युक्ति तय है। अब 21 जून की रात की बचे तीन विषयों के परिणाम घोषित किये जाने के बाद मेरिट लिस्ट जारी कर दी गयी। इस मेरिट लिस्ट में एसटीईटी 19 के हज़ारों सफल अभ्यर्थीयों को मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया गया। जिसके बाद सफल अभ्यर्थियों ने हंगामा करना शुरू कर दिया।

अभ्यर्थियों का कहना है की सरकार ने 12 मार्च को कहा था की 24599 लोग ही पास किये हैं और सभी लोगों की नियुक्ति पक्की है। मेरिट लिस्ट में बताया जा रहा की 24598 लोगों की मेरिट लिस्ट जारी कर दी गयी है। जबकि सफल अभ्यर्थियों में लगभग 10 हज़ार से अधिक लोगों को मेरिट लिस्ट में शामिल ही नहीं किया गया है। ऐसे में तो मात्र लगभग 14599 की सूचि जारी की जानी कहिये थी ये नए 10 हज़ार से अधिक लोगों को कहाँ से और कैसे ले लिया गया।

एक अभ्यर्थी ने बताया की कुछ दिनों पहले उनके पास एक फोन कॉल आया था। उनका नंबर बढा कर मेरिट लिस्ट में डालने के लिए 40 हजार रूपये की मांग की गई थी। फ़ोन करने वाले व्यक्ति के पास उस अभ्यर्थी का सारा विवरण मौजूद था। उन्होंने बताया की पहले तो उन्हें ये फर्जी कॉल लग रहा था इसीलिए उसे डांट कर फ़ोन काट दिया गया मगर अब लग रहा है की शायद वो सही कॉल था। 

इस तरह के फ़ोन कॉल कई लोगों के पास आये थे और उसमे उसके सभी विवरण का जिक्र भी किया गया था। अभ्यर्थियों से 50 हजार से 1.5 लाख रूपए की मांग की गयी थी। ऐसे में अब ये सवाल भी कई लोग पूछ रहे हैं की उनका निजी डाटा लीक कैसे हुआ? क्या इस मेरिट लिस्ट में वही लोग हैं जिन्होंने पैसे दिए?  इस पुरे प्रकरण में बहोत बड़ी साजिश दखाई दे रही है।

मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद छात्रों का आक्रोश सोशल मिडिया से सड़क तक देखने को मिला। ट्विटर पर हजारों लोग शिक्षा मंत्री विजय चौधरी और विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार से कई सवाल किये और मेरिट लिस्ट में धांधली के आरोप लगाये। जिसका किसी को संतोष जनक जवाब अब तक नहीं दिया गया है।

पहले भी बिहार के सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में कई बार धांधली और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में सरकार को इन आरोपों से बचने के लिए पारदर्शिता रखनी चाहिए थी जो नहीं रखी गई।

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