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Wednesday, March 16, 2022

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झारखंड की प्रेस वार्ता में शिक्षा, रोजगार और झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर

 


वर्ष 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सौ वर्ष पूर्ण करने वाला है। इसे लेकर रा.स्व. संघ झारखंड प्रान्त कार्यालय में भविष्य की योजनाओं के लिए दीर्घकालीन योजनाये बनाई गई हैं। इस दौरान बताया गया कि पुरे भारत में अभी कुल 38390 स्थानों पर कुल 60929 शाखाए चल रही हैं। झारखण्ड में संघ कार्य दृष्टि से इसके भौगोलिक क्षेत्र को 25 जिले और 4 महानगर में विभक्त किया गया है। जो सभी कार्य युक्त है। कुल 258 खंड है जिनमे 212 में संघ का कार्य चल रहा है एवं 25 स्थानों पर सम्पर्क युक्त है। वहीं 89 नगरों में सभी नगर कार्य युक्त हैं।

झारखंड के प्रांत कार्यवाह संजय कुमार ने बताया कि आज पुरे प्रांत में कुल 494 स्थानों पर 491 विद्यार्थी शाखा 285 व्यवसाई शाखा यानी कुल 776 शाखा रोज लग रही है। साप्ताहिक मिलन की संख्या 320  है जबकि 76  मासिक मंडली भी चल रही है। कुल 776 शाखाओं में 139 उपक्रमशील शाखा है जिनके माध्यम से समाज के लिए कोई न कोई सेवा कार्य चल रहा है। इसके साथ ही सेवा बस्ती की बात करें तो आज 312 सेवा बस्ती हैं जिनमे से 116 में संघ की शाखाएं चल रही हैं।  वहीँ 121 में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वाबलंबन जैसे कोई न कोई आयाम वहां कार्य कर रहे है।

आयोजित पत्रकार वार्ता में संजय कुमार ने यह बहा कि इस वर्ष भारत में स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी कि यह केवल राजनैतिक नहीं, अपितु राष्ट्रजीवन के सभी आयामों तथा समाज के सभी वर्गों के सहभाग से हुआ सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन था। इस उपनिवेशवादी आक्रमण का व्यापारिक हितों के साथ भारत को राजनैतिक- साम्राज्यवादी और धार्मिक रूप से गुलाम बनाने का निश्चित उद्देश्य था। यह राष्ट्रीय आन्दोलन सार्वदेशिक और सर्वसमावेशी था। हम सब सौभग्यशाली है की उस स्व के अधिकार के लिए झारखंड के बलिदानी सपूतों ने भी अपना सर्वस्व देश की स्वाधीनता के लिए तिरोहित कर दिया।  झारखंड के वीर बलिदानी पुत्रों में तिलका मांझी, जग्गनाथ देव, विष्णु मानकी, मौज मानकी, वीर बुधु भगत, सिन्दराय, विन्दराय, वीर तेलंगा खडिया, सिध्हू कान्हू, चाँद भैरव,फूलो झानो, गंगानारायण, विश्वनाथ सहदेव, गनपत सरदार, नीलाम्बर-पीताम्बर, पोटो सरदार, भगवान बिरसा मुंडा सहित हजारों अनाम बलिदानिओं ने उस स्व की प्राप्ति हेतु गैर भारतीय शासन एव उनकी संस्कृति के विरोध में अपने प्राणों की आहुति डे दी। झारखंडी समाज में स्वपर आधारित जीवनदृष्टि को ढृढ़ संकल्प के साथ पुनः स्थापित करना आवश्यक है। स्वतंत्रता सेनानियों ने संगठित संपन्न झारखण्ड का स्वप्न देखा था, उसे साकार रूप देने का कार्य वर्तमान पीढ़ी को करना चाहिए।  इस दृष्टि से संघ पुरे झारखंड विभिन्न कार्यक्रम चला रहा है। इसके बाद उन्होंने कहा कि गुरु तेगबहादुरजी का 400 वा प्रकाश वर्ष है। संघ उनके इस प्रकाश वर्ष को पूरे प्रान्त में समाज के साथ मना रहा है। साथ ही इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम भी किये जा रहे है।

इस प्रेस वार्ता में बताया गया कि संघ को दो क्षेत्रों में विशेष कार्य करने की बड़ी आवश्यकता है।  पहला शिक्षा क्षेत्र में जहाँ विद्यालय बंद रहने के कारण छात्रों का विकास प्रभावित हुआ है, इसे लेकर संघ के स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई तो हुई लेकिन काफी कुछ छूट गया, इसकी भरपाई आवश्यक है। दूसरा कोरोना के कारण रोजगार प्रभावित हुआ है, स्वावलंबन को लेकर भी स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। इसी के संबंध में बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। झारखण्ड प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, मानवशक्ति की विपुलता और अंतर्निहित उद्यमकौशल के चलते झारखण्ड में भी अपने कृषि, विनिर्माण, और सेवा क्षेत्रों को परिवर्तित करते हुए कार्य के पर्याप्त अवसर उत्पन्न कर आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता है। इस क्षमता का सदुपयोग करने के लिए एक तरफ सरकार की योजना होनी चाहिए, साथ ही समाज की कर्मण्यता भी बढ़नी चाहिए । संघ द्वारा आयोजित इस पत्रकार वार्ता में प्रान्त संघचालक मा सच्चिदानंद लाल अग्रवाल, प्रान्त प्रचार प्रमुख श्री धनन्जय कु सिंह, श्री नवल किशोर लालकर्ण आदि उपस्थित रहे।

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