--रितेश कश्यप
नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है। हर कोई अपने अपने हिसाब से नागरिक संशोधन कानून की व्याख्या कर रहा है जबकि असलियत में कानून की जानकारी लोगों तक पहुंच ही नहीं पा रही है या फिर सीधे तौर पर यह कर सकते हैं लोगों के बीच इस कानून की सही जानकारी पहुंचने नहीं दी जा रही। इस कानून के विरोध में भारत के लगभग सारे अल्पसंख्यक समुदाय के साथ साथ दलित या वंचित समुदाय के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है और उनसे देश विरोधी काम कराया जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं की इसमें राजनीतिक दलों का भी काफी सहयोग उन विरोध करने वाले लोगों को प्राप्त हो रहा है।
रामगढ़ में भी शनिवार को नागरिक संशोधन कानून के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया। कई लोगों ने भारत के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खिलाफ असंसदीय और अब मर्यादित भाषा में भी नारे लगाते देखे गए। कहने को तो कल का विरोध प्रदर्शन एकता कमेटी की ओर से किया जा रहा था मगर हर तरफ कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नजर आए। हर जगह अलग-अलग समूहों में अलग-अलग प्रकार से नारे लगाए जा रहे थे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इस देश में अब कोई कानून ही नहीं बचा।
इस प्रदर्शन के दौरान कई लोगों से पत्रकारों ने बातचीत की उनमें से अधिकतर लोगों को इस कानून की कोई जानकारी ही नहीं थी। कई लोगों का तो विरोध प्रदर्शन में आने का सिर्फ एक ही वजह था कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारा लगाना है। कुछ जानकार लोगों से भी हम लोगों ने बातचीत की उन लोगों ने भी इस कानून के प्रति अनभिज्ञता जाहिर की। एक महानुभाव ने तो यह भी कह दिया कि जो बिहार से झारखंड आए हैं या फिर झारखंड से जो लोग उत्तर प्रदेश चले गए हैं उन लोगों के पास अगर उस राज्य का दस्तावेज नहीं होगा तो उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा।
अब जहां इस कानून के हिसाब से भारत के किसी भी व्यक्ति को अपनी नागरिकता सिद्ध ही नहीं करनी है उस जगह पर इस तरह के भ्रम फैलाए जाने का क्या कारण हो सकता है। इन्हीं सब परिस्थितियों को देखते हुए हम लोगों ने सोचा कि लोगों को इस कानून के विषय में जानकारी दी जाए।
इन सब बातों की जानकारी देने से पहले आपको यह बता देना अति आवश्यक है कि CAA और NRC दोनों दो अलग-अलग चीजें हैं भारत सरकार ने नागरिक संशोधन कानून ( CAA) को ही केवल पास किया है NRC का अब तक कोई कानून भारत मे लागू नही है।
क्यों लाया गया ये अधिनियम ?
क्यों लाया गया ये अधिनियम ?
1947 में देश विभाजन के बाद जो हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई और पारसी पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में
रह गए, उन पर तब से भीषण
अत्याचार हो रहे हैं। यह लोग पिछले 70 सालों से भाग भागकर भारत आ रहे हैं। उन्हें
भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए ये अधिनियम बनाया गया है।
क्या है इस अधिनियम में ?
पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के नाम पर उत्पीड़ित अल्पसंख्यक
अर्थात हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई व पारसी जो प्राण और सम्मान बचाने के लिए भारत आए हैं , उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा। इनमें से जो
लोग 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके थे उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।
जब से वे भारत आए तभी से उसी साल से उन्हें भारत की नागरिकता माना जाएगा। यहां हुए
उनके विवाह बच्चों आदि को भी कानूनी मान्यता मिलेगी।
क्या यह कानून मुस्लिम विरोधी है?
बिल्कुल नहीं। भारत के नागरिकों के लिए यह कानून बना ही नहीं है। देश के
नागरिक वह चाहे मुस्लिम हो या फिर अन्य किसी संप्रदाय के इस कानून का उनसे कोई
संबंध ही नहीं है। यह पीड़ितों को नागरिकता देने का कानून है किसी से नागरिकता
छीनने का कानून नहीं है।
पाकिस्तान बांग्लादेश से आए अवैध मुस्लिम प्रवासियों को
नागरिकता क्यों नहीं?
पाकिस्तान, बांग्लादेश और
अफगानिस्तान इन के संविधान के अनुसार तीनों ही इस्लामिक देश है। यहां मुस्लिमो का
धर्म के आधार पर उत्पीड़न नहीं हो सकता।
! याद रहे !
- सही कागज प्रस्तुत करके दुनिया का कोई भी
मुस्लिम या अन्य व्यक्ति भारत की नागरिकता लेने के लिए आवेदन कर सकता है। उस
पर कोई रोक नहीं है। सन 2014 से अभी तक दुनिया के अलग-अलग देशों से आए हुए
566 मुस्लिमों ने भारत की नागरिकता ली है। पाकिस्तानी गायक अदनान सामी इन्हीं
में से एक हैं।
- राजनीतिक स्वार्थों के लिए इस कानून के बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है। छात्रों को भड़का कर देश विरोधी, संस्कृति विरोधी नारे लगवाए जा रहे हैं। लोगों को भड़का कर हिंसा फैलाने का प्रयास हो रहे हैं। असम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेशी घुसपैठिए तोड़फोड़ और आगजनी कर रहे हैं एवं सार्वजनिक संपत्तियों को जला रहे हैं।
"पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख हर नजरिए से भारत आ सकते हैं, अगर वह वहाँ नहीं रहना चाहते ।तब उन्हें नौकरी देना, उनके जीवन को सामान्य बनाना भारत सरकार का पहला कर्तव्य है।"
-- महात्मा गांधी 26 सितंबर 1947 प्रार्थना सभा
भ्रम
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तथ्य
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CAA (Citizen Amendment Act) के तहत किसी भी समय भारतीय अल्पसंख्यकों की नागरिकता समाप्त की जा सकती है।
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किसी की
नागरिकता समाप्त करने का कोई प्रावधान CAA में नहीं है।
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CAA के तहत भारतीय मुस्लिमों को भारतवर्ष से बाहर भगा दिया जाएगा।
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नहीं - केवल किसी भी वर्ग के विदेशी घुसपैठियों को बाहर निकाला जा सकता है
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नागरिकों से भारतीय नागरिकता का सबूत माँगा जायेगा।
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नहीं- भारतीय
नागरिकों को नागरिकता संबंधी कोई सबूत नहीं देना है और ना मांगा जाएगा।
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भारतीय मुस्लिम नागरिकों को अपने माता-पिता के भारतीय होने का सबूत देना
होगा या 1971 से पूर्व की वंशावली का प्रमाण देना होगा।
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नहीं- भारतीय मुस्लिम या किसी भी वर्ग के नागरिकों से वंशावली या माता-पिता
के भारतीय होने का प्रमाण नहीं मांगा जाएगा।
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CAA और NRC एक ही बात बात है। NRC लागू करने से
पहले CAA लाया गया है।
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नहीं- NRC और CAA से कोई संबंध नहीं है दोनों कानून एक दूसरे से बिल्कुल अलग है यह मात्र एक
भ्रम फैलाने की कोशिश है कि दोनों एक ही है।
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जागे और सबको जगाएं : आवश्यक है कि हम इस ऐतिहासिक कानून को अच्छी तरह से समझें और अपने आसपास सभी को समझाएं अपने मोहल्ले समितियों कार्य स्थलों या जहां भी लोग एकत्रित होते हैं वहां इसके बारे में चर्चा करें व्हाट्सएप, फेसबुक आदि के माध्यम से इस बारे में सही जानकारी अपने से जुड़े लोगों तक पहुंचाएं।
उक्त विषयों को लेकर राष्ट्रीय जनजागरण मंच, रामगढ़ के अध्यक्ष वेद प्रकाश ने बताया की इस मंच के द्वारा 09 जनवरी 2020 को नागरिक संशोधन कानून ( CAA) की जानकारी एवं जागरूकता के लिए दिन के 11 बजे से रामगढ के MMT ग्राउंड से जागरूकता यात्रा निकाला जाना है। आगे उन्होंने कहा की हर व्यक्ति वो चाहे किसी भी संगठन से जुड़ा हो या ना जुड़ा हो वे सभी इस जागरूकता यात्रा में आ सकते हैं और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं ।
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